आसमां की सैर से
थका एक परिंदा ,
जा बैठता है कहीं
बाँध अपने पंख
सोचता नही वो
कहाँ उतरा है आख़िर ......
किसी आलिशान महल पे
या किसी गरीब के झोपडे पे
नही सोचता वो
नीचे कोई पंडित रहता है .......
या हरिजन कोई .........
क्या वो सोचता है ??????
जहाँ बैठा हूँ
मन्दिर है या मद्जिद
क्या सोचता है?????
नीचे से आता संगीत
आरती है या नमाज़
क्या सोचता है ?
अन्दर बैठा मालिक
खुदा है या भगवान ?
वो ढूंढ़ता है बस आराम
सुकून घड़ी दो घड़ी
आज वो बैठा है
कृष्ण के घर में
कल जाकर बैठ जायेगा
अल्लाह के दर पे
और हम इंसान ?????????
पूछिये ख़ुद से..............
आकर्ष जोशी
B.E 1ST YEAR (ELECTRONICS)
UEC UJJAIN
2 comments:
bahut badhia likha hai
keep it up
हमे जागना होगा और हमे सबको जगाना होगा. लिखते रहिये - धन्यवाद.
- आपका मित्र सुलभ
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